Fri Dec 20
Explainer: अजीब ग्रेस मार्क्स पद्धति ने NEET-UG को कटघरे में ला खड़ा किया
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
मेडिकल परीक्षा नीट-यूजी (NEET-UG) में गड़बड़ी की आशंका जताने वाला पहला संकेत तब मिला जब पता चला कि 1500 से अधिक छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए. सवाल यह है कि ऐसा क्यों हुआ?
शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि ग्रेस मार्क्स कभी भी "परीक्षा समय में हुए नुकसान" का मानक नहीं रहा है. समय की कमी की भरपाई के लिए समय बढ़ाने की सिफारिश की गई है,लेकिन कभी भी ऐसे ग्रेस मार्क्स की इजाजत नहीं दी गई जो व्यक्तिपरक रूप से दिए जा सकें.
सूत्रों ने कहा है कि नीट-यूजी में ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1500 से अधिक छात्रों के लिए अंतिम रूप से दोबारा परीक्षा आयोजित करना,उच्च शिक्षा में शिक्षण पदों के लिए यूजीसी-नेट को रद्द करना और नीट-पीजी को इसके आयोजन से ठीक एक दिन पहले स्थगित करना... ये सभी बातें राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के काम करने के तरीकों में खामियों की ओर इशारा करती हैं. नीट-पीजी का संचालन स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड द्वारा किया जाता है.
शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि,सरकार 2025 में परीक्षाओं के अगले साइकल के शुरू होने से पहले एनटीए में हर अहम सुधारलागू करना चाहती है. उन्होंने कहा कि एनटीए यह भी देखेगा कि सबसे अच्छी व्यवस्थाएं बनाने के अलावा क्या एनईईटी (NEET) को कई बार आयोजित किया जा सकता है या साल में सिर्फ एक बार.
केंद्र ने एनटीए के डायरेक्टर जनरल सुबोध कुमार सिंह की जगह सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी प्रदीप सिंह खरोला की नियुक्ति की है. सूत्रों ने कहा कि यह एनटीए की विश्वसनीयता को बचाने की कोशिश में उठाया गया कदम है.
एनटीए पर छात्रों का भरोसा कम हो गया
सूत्रों ने बताया कि विवादों के बाद एनटीए पर छात्रों का भरोसा कम हो गया है. शिक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि,"एनटीए उम्मीदवारों को आश्वस्त करने में विफल रहा. ग्रेस मार्क्स देने का कोई प्रावधान नहीं है. यह पहली बार है जब उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं. नियमों के अनुसार,अगर कुछ समय का नुकसान होता है तो उम्मीदवारों को अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए था. इसके अलावा ऑड पद्धति से ग्रेस मार्किंग की गई."
एनटीए ने परीक्षा समय में हुए नुकसान के कारण 1564 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दिए थे. उसका कहना है कि उसने उसी सामान्यीकरण फॉर्मूले का पालन किया. सन 2018 में जब ऐसी स्थिति बनी थी तो CLAT में सुप्रीम कोर्ट ने इस फॉर्मूले को मंजूरी दी थी. एनटीए ने बाद में इन ग्रेस अंकों को वापस ले लिया.
रविवार को 1563 छात्रों के लिए पुनः परीक्षा आयोजित की गई,जिनमें से 813,यानी कि 52 प्रतिशत छात्र उपस्थित हुए.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने यह मामला दर्ज करके जांच अपने हाथ में ले ली है.