Fri Dec 20
इजरायल और अमेरिका ने ईरान के परमाणु प्रोजेक्ट को 'दुनिया के पहले डिजिटल हथियार' से बनाया था निशाना
स्टक्सनेट मैलवेयर... दुनिया का पहला डिजिटल हथियार
आज से लगभग 25 साल पहले की बात है,जब अमेरिका और इजरायल की खुफिया एजेंसियों ने मिलकर ईरान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट को एक 'डिजिटल हथियार' से कई सालों पीछे धकेल दिया था. इसे दुनिया का पहला डिजिटल हथियार माना जाता है. जून 2009,तेहरान की सड़कों पर राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे. मौजूदा राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद मीर-होसैन मुसावी के खिलाफ भारी बहुमत से विजयी हुए थे. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन पर धोखाधड़ी से जीत का आरोप लगाया था. इस विरोध प्रदर्शन में नेदा आगा-सोल्तान नाम की एक महिला भी शामिल होने जा रही थीं. उसने प्रदर्शन स्थल से कुछ दूरी पर अपनी कार खड़ी की और बाहर निकली. गाड़ी से निकालकर जैसे ही महिला ने ताजी हवा में सांस ली,वैसे ही सरकार द्वारा तैनात मिलिशिया के एक स्नाइपर ने निशाना साधा और सीधे उसके सीने में गोली मार दी. महिला मर गई.
दुनिया का पहला डिजिटल हथियार
जब यह घटना तेहरान में हुई,तब यहां से लगभग 300 किलोमीटर दक्षिण में नतांज न्यूक्लियर साइट में कुछ अजीबो-गरीब हो रहा था,जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम का केंद्र था. नेदा की मौत के कुछ ही दिनों बाद,सीआईए को कथित तौर पर ईरान के खिलाफ साइबर ऑपरेशन शुरू करने की मंजूरी मिल गई. इस ऑपरेशन में स्टक्सनेट नामक मैलवेयर को सीधे ईरानी हार्डवेयर पर अपलोड करना शामिल था. अमेरिका और इजरायल कथिततौर पर इस मैलवेयर को कई सालों से तैयार कर रहे थे. यह दुनिया का पहला डिजिटल हथियार था.चिंतित बुश ने शुरू कराया सीक्रेट मिशन 'ओलंपिक गेम्स'
ईरान के परमाणु प्रोजेक्ट में स्टक्सनेट की मौजूदगी कोई नई बात नहीं थी,यह कई सालों से व्यवधान पैदा कर रहा था. हालांकि,इस नए वर्जन को निर्णायक झटका देने के लिए डिज़ाइन किया गया था. स्टक्सनेट के डेवलेप और तैनाती की कहानी कई साल पहले शुरू हुई थी. स्टक्सनेट की शुरुआत 2000 के दशक की शुरुआत में हुई थी,जब ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर ईरान और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ गया था. ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने की क्षमता से चिंतित बुश प्रशासन ने तेहरान में चल रहे काम को बाधित करने के लिए अपरंपरागत तरीकों की तलाश की. इस प्रकार,'ओलंपिक गेम्स' नाम से गुप्त ऑपरेशन का जन्म हुआ. सीआईए,एनएसए और इज़रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के बीच शुरू हुई इस पहल का उद्देश्य ईरान की परमाणु क्षमताओं को बाधित करने में सक्षम एक डिजिटल हथियार बनाना था.स्टक्सनेट मैलवेयर ने साइबर हथियारों की परिभाषा को ही बदल कर रख दिया था. मैलवेयर ने सीमेंस स्टेप7 सॉफ्टवेयर को निशाना बनाया,जिसका इस्तेमाल औद्योगिक उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए किया गया,खास तौर पर ईरान के नतांज यूरेनियम प्रोजेक्ट में सेंट्रीफ्यूज पर ध्यान केंद्रित करते हुए.