Fri Dec 20
हर निजी संपत्ति पर कब्ज़ा नहीं कर सकती सरकार : सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फ़ैसला
2024-11-05 HaiPress
साल 1986 में महाराष्ट्र में कानून में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई है...
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है. इस मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं. कुछ निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन हो सकती हैं. ये 9 जजों के संविधान पीठ का फैसला है,जिसने 1978 से लेकर अभी तक के सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले पलट दिये हैं. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूंड़ की अगुवाई वाली 9 जजों की बेंच दशकों पुराने इस विवाद पर अपना फैसला सुनाया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस साल 1 मई को सुनवाई के बाद निजी संपत्ति मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिय था. मामले में फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,'तीन जजमेंट हैं,मेरा और 6 जजों का... जस्टिस नागरत्ना का आंशिक सहमति वाला और जस्टिस धुलिया का असहमति वाला. हम मानते हैं कि अनुच्छेद 31सी को केशवानंद भारती मामले में जिस हद तक बरकरार रखा गया था,वह बरकरार है.
1978 के बाद के सभी फैसलों को पलटा...
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में साफ कर दिया है कि सरकार सभी निजी संपत्तियों की अधिग्रहण नहीं कर सकती. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने 1978 के बाद के उन फैसलों को पलट दिया है,जिनमें समाजवादी विषय को अपनाया गया था और कहा गया था कि सरकार आम भलाई के लिए सभी निजी संपत्तियों को अपने कब्जे में ले सकती है. सीजेआई ने सात न्यायाधीशों का बहुमत का फैसला लिखते हुए कहा कि सभी निजी संपत्तियां भौतिक संसाधन नहीं हैं और इसलिए सरकारों द्वारा इन पर कब्ज़ा नहीं किया जा सकता.LIVE Updates...
सुप्रीम कोर्ट का बहुमत से फैसला- सरकार सभी निजी संपत्तियों की अधिग्रहण नहीं कर सकती.CJI ने 9 जजों की बेंच के मामले में बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा- बहुमत ने न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर के पिछले फैसले को खारिज कर दिया,जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है. इसमें कहा गया है कि पुराना शासन एक विशेष आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था.सुप्रीम कोर्ट- पिछले 30 सालों में गतिशील आर्थिक नीति अपनाने से भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है. वह जस्टिस अय्यर के इस दर्शन से सहमत नहीं है कि निजी व्यक्तियों की संपत्ति सहित हर संपत्ति को सामुदायिक संसाधन कहा जा सकता है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 1960 और 70 के दशक में समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर झुकाव था,लेकिन 1990 के दशक से बाजार उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान केंद्रित किया गया. भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा किसी विशेष प्रकार की अर्थव्यवस्था से दूर है,बल्कि इसका उद्देश्य विकासशील देश की उभरती चुनौतियों का सामना करना है.सीजेआई ने कहा,सभी निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं. कुछ निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन हो सकती हैं. 9 जजों के संविधान पीठ का फैसला. 1978 से लेकर अभी तक के सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले पलटे.
CJI ने कहा,'सामग्री और समुदाय शब्दों का प्रयोग निरर्थक अतिश्योक्ति नहीं है.'सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा,'व्यापक विधायी व्याख्या के संदर्भ की आवश्यकता नहीं है. संविधान के पाठ से यह स्पष्ट है कि 42वें संशोधन की धारा-4 को शामिल करने का संसद का इरादा विधायिका की शक्ति को शामिल करना था. संसद की स्पष्ट मंशा को देखते हुए यह देखा जा सकता है कि इस शब्द को निरस्त करने का कोई इरादा नहीं था. अनुच्छेद 31सी का असंशोधन पुनर्जीवित हो गया.
निजी संपत्ति को सामुदायिक संसाधन माना जा सकता है? इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ फैसला सुना रही है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़,जस्टिस ऋषिकेश रॉय,जस्टिस बी वी नागरत्ना,जस्टिस सुधांशु धूलिया,जस्टिस जेबी पारदीवाला,जस्टिस मनोज मिश्रा,जस्टिस राजेश बिंदल,जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की संविधान पीठ फैसला सुना रही है.
सुप्रीम कोर्ट आज निजी संपत्ति मामले में कुल 16 याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी. इनमें मुख्य याचिका मुंबई के प्रॉपर्टी मालिकों के संघ की है. साल 1986 में महाराष्ट्र में कानून में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई है,जिसमें प्राइवेट बिल्डिंग के अधिग्रहण का अधिकार,मरम्मत और सुरक्षा के लिए अधिग्रहण का अधिकार शामिल है. याचिकाकर्ता का कहना है कि कानून में किया गया ये संशोधन भेदभाव पूर्ण है. निजी संपत्ति पर कब्जे की कोशिश है. वहीं,महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि ये संविधान के मुताबिक संशोधन है.
निजी संपत्ति मामले में अनुच्छेद 39(B) विवाद की प्रमुख जड़ है. दरअसल,39(B) की अलग-अलग व्याख्या की गई हैं. अलग-अलग बेंच व्याख्या में उलझती रही है. इससे यह साफ नहीं है कि कौन सी चीज ‘समुदाय का संसाधन' है और क्या नहीं? 39(B) संविधान के चौथे भाग में आता है. संविधान का ये हिस्सा DPSP कहलाता है. DPSP की बातें लागू करने के लिए सरकार बाध्य नहीं है. हालांकि,याचिकाकर्ताओं की मांग है कि संसाधनों का स्वामित्व और बंटवारा इस तरह हो,जिससे आम लोगों की भलाई हो.